अंग्रेजी: अंग्रेजी: अंग्रेजी, कुमार अमित
अंग्रेजी: अंग्रेजी: अंग्रेजी कुमार अमित बड़ी अजीब बात है कि हम आज 21वीं सदी में जी अंग्रेजी की बात हिंदी में कर रहे हैं। जब सारा हिंदुस्तान Digital India, I-India, Learning Indian and India+ की बात कर रहा है तब भी हमारी जनसंख्या की 90 प्रतिशत आबादी अंतर्राष्ट्रीय भाषा से काफी पीछे है। हमारे देश के ज़्यादातर युवक / युवतियां अंग्रेजी पहनावे को तो बहुत आसानी से अपना लेते हैं, लेकिन नहीं अपना पाते हैं तो अंग्रेजी भाषा व अंग्रेजी तहज़ीब को। ” प्रश्न यह उठता है कि आखि़र अग्रेजी ही क्यों? क्योंकि, अंग्रेजी हमारी रोजमर्रा की ज़रूरत बन चुकी है। जिधर देखिए उधर, अंग्रेजी की होड़ सी लगी हुई है। बच्चे का Admission हो या पार्टी में Impression, आखिर अंग्रेजी तो चाहिए ही। इतना ही नहीं कार्यालय से लेकर शापिंग काम्पलेक्स तक, बाजार से लेकर घर तक, हर छोटी-बड़ी चीज में हमें अंग्रेजी की जरूरत पड़ जाती है। या फिर यह कहना कदापी गलत नहीं होगा कि ”अंग्रेजी सर्वस्व भूषणम्“। आम तौर पर यह देखा गया है कि लोग अक्सर अंग्रेजी में बात करते वक्त अपना आपा खो देते हैं, भाषा पर नियंत्रण करना भूल ...
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